छंद विचार क्या है और उसके प्रकार:-
हेलो दोस्तों, आप लोगों का स्वागत है हमारे वेबसाइट हिंदीबारहखडी दंत कॉम पर। आज मै आपको हिंदिव्याकरण के एक प्रकार- छंद विचार तथा उसके प्रकार के बारे में जानकारी देने जा रहा हूँ। इसके अलावा दैनिक ज़िन्दगी में इसके वाक्य और महत्ता को भी दर्शाने जा रहा हूँ।
छंद विचार हिंदी काव्य शास्त्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसे छंदोलोचन भी कहा जाता है। छंद विचार वास्तव में काव्य की बाह्य संरचना और लय के नियमों का अध्ययन है।
छंद विचार की परिभाषा
छंद विचार शब्दों के लय और तालमय गुणों का विश्लेषण करता है। यह शब्दों के उच्चारण, मात्राओं, गति और लय के नियमों पर ध्यान केंद्रित करता है। छंद विचार में वर्णों, मात्राओं, गति और विराम चिह्नों के नियमों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
चलिए छंद विचार को सरल हिंदी भाषा में समझते हैं:-
छंद विचार का मतलब है शब्दों के लय और तालमय गुणों का अध्ययन करना। जैसे किसी गाने में शब्द एक खास लय में आते हैं, उसी तरह कविता में भी शब्दों का एक खास लय होता है।
जैसे:-
I I IISI SI II SII
जय हनुमान ग्यान गुन सागर।
II ISI II SI ISII
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
SI SI IIII IISS
राम दूत अतुलित बलधामा।
SII SI III II SS
अंजनि पुत्र पवन सुत नामा।
II II SS III SI SSI III S
नित नव लीला ललित ठानि गोलोक अजिर में।
III SIS SI SI II SI III S
रमत राधिका संग रास रस रंग रुचिर में। ।
IIS IS S SIS S SI II S II IS
कहते हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गये।
II S IS S SI SS S IS SII IS
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गये पंकज नये।
SS II SS IS SS SII SI
मेरी भव बाधा हरो, राधा नागर सोय।
S II S SS IS SI III II SI
जा तन की झाई परे, स्याम हरित दुति होय। ।
SI SI II SI IS III IIS III
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन।
SI SI II SI III IS SII III
जाहि दीन पर नेह, करहु कृपा मर्दन मयन॥
SS IIS SI S IIS I SS SI
साईं अपने भ्रात को, कबहुं न दीजै त्रास।
पलक दूर नहिं कीजिये, सदा राखिये पास।
सदा राखिये पास, त्रास, कबहु नहिं दीजै।
त्रास दियौ लंकेश ताहि की गति सुन लीजै।
कह गिरिधर कविराय, राम सों मिलिगौ जाई।
पाय विभीशण राज, लंकपति बाजयो साईं।
SI ISII SI SIII SS SS
IS ISI ISI I IIS II S II S
जहाँ स्वतंत्र विचार न बदले मन में मुख में।
सब को जहाँ समान निजोन्नति का अवसर हो।
शांतिदायिनी निशा हर्ष सूचक वासर हो।
सब भाँति सुशासित हों जहाँ समता के सुखकर नियम।
II SI ISII S IS IIS S IIII III
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इसके दो प्रकार होते हैं:-
- मात्रिक छंद – इसमें पंक्तियों की लंबाई मात्राओं यानी हिंदी के स्वर वर्णों की संख्या से तय होती है।
उदाहरण के लिए, दोहा एक मात्रिक छंद है। इसकी पहली पंक्ति 13 मात्राओं की होती है और दूसरी पंक्ति 11 मात्राओं की।
जैसे:-
दोहा कविता कुंज बिहारी (कवि) दीन दयालु जगत गुरु सूरी, मुनिवर वचन अनुसारी।
- वर्णिक छंद – इसमें पंक्तियों की लंबाई वर्णों यानी हिंदी के सभी अक्षरों की संख्या से तय होती है।
उदाहरण के लिए, श्लोक एक वर्णिक छंद है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में 32 वर्ण होते हैं।
जैसे:-
प्रणम्य सर्वदेवेशं कृत्स्नवेदाङ्गपारगम्।
वेदान्तदेशिकं चक्रे भगवद्गीताभाष्यकृत्॥
इस तरह छंद विचार कविता की लय, तालमय गुण और संगीतमयता को समझने में मदद करता है।
छंद के प्रकार
हिंदी साहित्य में छंदों के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:-
1. मात्रिक छंद
मात्रिक छंद में पंक्तियों की लंबाई मात्राओं की संख्या से निर्धारित होती है। प्रमुख मात्रिक छंद हैं – दोहा, सोरठा, चौपाई, कुंडलिया आदि।
2. वर्णिक छंद
वर्णिक छंद में पंक्तियों की लंबाई वर्णों की संख्या से निर्धारित होती है। प्रमुख वर्णिक छंद हैं – श्लोक, वसंततिलका, मालिनी, मंदाक्रांता आदि।
छंद विचार काव्य की सौंदर्यात्मक और लयात्मक विशेषताओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हिंदी साहित्य के छात्रों और प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
छंद विचार हिंदी साहित्य के छात्रों और प्रेमियों के लिए बहुत उपयोगी है।
दोस्तों इसे सरल शब्दों में समझें:-
सबसे पहले, छंद विचार से हम कविता की संरचना और उसके लय को समझने में मदद मिलती है। ये बताता है कि शब्दों की व्यवस्था, उनका उच्चारण और गति काव्य में कैसे महत्व रखते हैं।
दूसरा, कवि ने कविता में शब्द-चयन और मात्रा-चयन किस तरह किया है, ये समझना आसान होता है। कवि की कलात्मक प्रतिभा का अनुमान लगाना संभव होता है।
तीसरा, छंद विचार से कविता की संगीतमयता और लयात्मकता बेहतर ढंग से समझी जा सकती है। गायन और वाचन के हुनर भी बढ़ते हैं।
चौथा, अलग-अलग प्रकार के छंदों की पहचान कर उनमें अंतर समझना आसान होता है। छंदों की विशेषताएं सीखने से कविता लिखने की क्षमता भी बढ़ती है।
आखिरकार, छंद विचार कवियों और लेखकों के कार्यों को गहराई से समझने और आस्वादन करने में सहायक है। इससे हिंदी साहित्य और कविता का अध्ययन बेहतर होता है।
इस तरह छंद विचार न सिर्फ कविता को समझने में मददगार है बल्कि कवि की प्रतिभा को भी पहचानने में योगदान देता है।
क्या छंद की सहायता से कोई कवि या गीतकार अपना लिरिक्स ढूंढ पाते है?
हां, बिलकुल। छंद की सहायता से कवि या गीतकार अपना लिरिक्स ढूंढ सकते हैं और उसे लयबद्ध कर सकते हैं।
छंद काव्य की लय और तालमय गुणों को नियंत्रित करता है। इसलिए जब कोई कवि या गीतकार लिरिक्स लिखना शुरू करता है, तो वह किसी विशेष छंद का चयन करता है। फिर उस छंद के नियमों के अनुसार ही वह शब्दों और पंक्तियों को रचता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई गीतकार दोहे के छंद में गीत लिखना चाहता है, तो उसे पहली पंक्ति में 13 मात्राएं और दूसरी पंक्ति में 11 मात्राएं रखनी होंगी। इस प्रकार छंद के नियम उसके लिरिक्स लिखने की दिशा तय करेंगे।
छंद के माध्यम से ही कवि या गीतकार शब्द-चयन, मात्रा-विन्यास, लय-प्रवाह आदि का निर्धारण करता है। छंद लिरिक्स को संरचित करने और उसे एक संगीतमय फ़ॉर्म देने में सहायक होता है।
इसलिए कहा जा सकता है कि छंद ही कवि और गीतकार के लिए लिरिक्स लिखने की एक मार्गदर्शिका का काम करता है और उन्हें लयबद्ध कविता या गीत लिखने में सहायता प्रदान करता है।
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