Nirjala Ekadashi Vrat Kaise Kare | निर्जला एकादशी व्रत कैसे करें।
Nirjala Ekadashi Kaise Kare
Nirjala Ekadashi 2023:- हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। सालभर में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी का खास महत्व होता है। निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान ना कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पीना होता है।
निर्जला एकदशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है। अगर आप सालभर में आने वाली 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही आपको सभी एकादशियों का लाभ मिल जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है।
Nirjala Ekadashi 2023:- निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है ?
इस साल 2023 में निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को यानि बुधवार को मनाई जाएगी। इस शुभ तिथि की शुरआत दोपहर 30 मई 2023 को 1 : 10 बजे होगी और समाप्ति दोपहर 31 मई 2023 को 1:40 बजे होगी।
Nirjala Ekadashi 2023:- निर्जला एकादशी का महत्व क्या है ?
सभी एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं व उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने,पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है।
लेकिन इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर साल भर की एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।
इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।
Nirjala Ekadashi 2023:- निर्जला एकादशी पर ये 6 कार्य करें :-
- दान : अन्न- जलदान, गौ दान, वस्त्रदान, जूता और छाता दान। यह नहीं कर सकते हैं तो कम से कम इस दिन जल कलश में जल भरकर उसे सफेद वस्त्र से ढककर चीनी और दक्षिणा के साथ किसी ब्राह्मण को दान जरूर करें जिससे साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।निर्जला एकादशी को जल एवं गौ दान करना सौभाग्य की बात मानते थे। इसके अलावा लोग ग्रीष्म ऋतु में पैदा होने वाले फल, सब्जियां, पानी की सुराही, हाथ का पंखा आदि का दान करते हैं।
- निर्जला व्रत : इस एकादशी के दिन बिना जल के व्रत करें। पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है। इस एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभीएकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- विष्णु आराधना : निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की लक्ष्मी माता सहित आराधना की जाती है। इस दिन पीताम्बरधारी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और साथ ही यथाशक्ति श्री विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते रहना चाहिए।
- जलदान : जो लोग गौ दान नहीं कर पाते हैं वे इस समय जलदान जरूर करते हैं। ज्येष्ठ माह वैसे भी तपता है तो भी जगह प्याऊ लगान और लोगों को पानी पिलाना पुण्य का कार्य है। इस दिन जल में वास करने वाले भगवान श्रीमन्नारायण विष्णु की पूजा के उपरांत दान-पुण्य के कार्य कर समाज सेवा की जाती है। ऐसा करने से पितृदोष दूर होने के साथ ही चंद्रदोष भी दूर होता है।
- देवी-देवता को करें प्रसन्न : इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। एकादशी तिथि के देवता हैं विश्वदेवगण हैं। उनकी पूजा भी करना चाहिए।
- पीपल में जल अर्पित करें : यदि आप उपरोक्त उपाय नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
जानें निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi 2023 Vrat) रखने का तरीका
धर्म शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi 2023 Vrat) दशमी तिथि की रात से ही शुरू किया जाता है. दशमी की रात्रि को अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता।
उसके बाद अगले दिन यानी एकादशी तिथि (Nirjala Ekadashi 2023 Tithi)को सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक बिना जल और भोजन ग्रहण किये व्रत रखा जाता है. द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती को जल ग्रहण करना चाहिए।
निर्जला एकादशी(Nirjala Ekadashi) पर ये सावधानियां बरतें
- निर्जला एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठे
- घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं
- एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें
- निर्जला एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें
निर्जला एकादशी(Nirjala Ekadashi) पर करें महाउपाय
- निर्जला एकादशी का व्रत विधान करने और जरूरतमंद लोगों को फल अन्न आसन जूते छतरी और शरबत आदि का दान करने से मन की इच्छा
- एक चकोर भोजपत्र पर केसर में गुलाबजल मिलाकर ओम नमो नारायणाय मन्त्र तीन बार लिखें
- अब एक आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें ।
निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर मन्दिर आदि की सफाई करें. उसके बाद स्नान करके साफ पीला वस्त्र पहनें और मंदिर या पूजा स्थल पर जाकर व्रत और पूजन का संकल्प लें।
अब व्रत रखते हुए भगवान विष्णु को पीले चंदन पीले फल फूल से अर्पित करते हुए पूजा करें. भोग में पीली मिठाई भगवान विष्णु को चढ़ाएं. अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. अंत में आरती करके प्रसाद वितरण करें. इसी प्रकार शाम को भी भगवान विष्णु की पूजा करें।