बिखरी सी लगती है 'डॉक्टर जी' की कहानी, मिसिंग है 'आयुष्मान टच' 

आयुष्मान खुराना बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी अलहदा स्क्रिप्ट के लिए पहचाने जाते हैं 

डॉक्टर जी के जरिए भी आयुष्मान ने कुछ अलग परोसने का प्रयास किया है. बता दें, ये आयुष्मान की पहली ऐसी फिल्म है जिसे ए सर्टिफिकेट मिला है 

जेंडर इक्वालिटी हमेशा से डिबेटेबल मुद्दा रहा है. एजुकेशन का फील्ड भी इससे अछूता नहीं है. मर्दों और औरतों को क्या पढ़ाई करनी चाहिए 

इसका निर्णय भी सोसायटी द्वारा खींचे दायरे में रहकर ही लेना पड़ता है. मसलन अगर कोई लड़का गाइनोकॉलजिस्ट और लड़की सीविल इंजीनियर करना चाहती हैं 

तो उसकी चॉइस को जज किया जाता है. कुछ ऐसी ही मुद्दों पर डॉक्टर जी की कहानी का ताना-बाना बुना गया है 

भोपाल के उदित गुप्ता (आयुष्मान खुराना) मेडिकल स्टूडेंट हैं और लंबे समय से ऑर्थोपिडिशियन बनने का सपना देख रहे हैं. रैंक कम होने की वजह से उनके नसीब में आती है गाइनोकॉलजिस्ट की सीट 

सोशल मैसेज में कॉमिडी का तड़का लगाने में माहिर आयुष्मान यहां थोड़े फीके नजर आते हैं 

अपनी पिछली फिल्मों की तरह लहजा पकड़ने में 'प्रो' रहे आयुष्मान का यहां भोपाली हिंदी बोलना उतना नैचुरल नहीं लगता है 

सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार साथ नजर आए रकुल और आयुष्मान की जुगलबंदी भी खास मैजिक क्रिएट नहीं कर पाती है