व्याकरण किसे कहते हैं और व्याकरण के कितने भेद होते हैं

व्याकरण किसे कहते हैं और व्याकरण के कितने भेद होते हैं

व्याकरण किसे कहते हैं

दोस्तों हमारी मातृभाषा हिंदी है। दुनिया की सबसे सुलभ भाषाओं में से एक हिंदी है। यह एक प्रमुख भाषा है क्योंकि यह एक व्यापक भाषा है जिसमें कई अलग-अलग भाषाओं की शब्दावली शामिल है। किसी भी भाषा का व्याकरण, जो उसके बोलने या लिखने के लिए आवश्यक नियमों को स्थापित करता है, उसकी नींव है। किसी भाषा को सही ढंग से बोलने और लिखने के लिए उसके व्याकरण को समझना आवश्यक है।

व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा हमे किसी भाषा का शुद्ध बोलना, लिखना एवं समझना आता है। भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।

व्याकरण को इंग्लिश की भाषा में grammer कहते है और grammer शब्द से आप जान ही गए होंगे की की व्याकरण किसे कहते है नहीं तो हम आपको बताते है व्याकरण किसे कहते है

किसी भी भाषा को शुद्ध तरीके से बोलने और लिखने के नियम बताये जाते है उसे व्याकरण कहा जाता।

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ऐसा नहीं है की व्याकरण के बिना हम भाषा नहीं बोल सकते। लेकिन किसी भाषा को शुद्ध रखने के लिए उसके व्याकरण नियमो का पालन करना होता है किसी भी भाषा के लिखने और बोलने के नियम होते है।

व्याकरण के कितने भेद होते हैं

व्याकरण के तीन भेद है

  1. वर्ण विचार
  2. शब्द विचार
  3. वाक्य विचार

वर्ण विचार किसे कहते है

वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि चिन्ह, भेद, उच्चारण आदि चीज़ो पे विचार किया जाता है

शब्द विचार किसे कहते है

हिंदी व्याकरण का वह भाग जिसमें शब्द के शुद्ध उच्चारण, शुद्ध लेखन की विवेचना की जाती है उसे शब्द-विचार कहते हैं। वर्ण-विचार के बाद शब्द-विचार व्याकरण का दूसरा प्रमुख अंग है।

वाक्य विचार किसे कहते है

जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को ‘वाक्य’ कहते हैं।

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दो या दो से अधिक सब्दो के समूह जो एक सार्थक अर्थ प्रदान करते है वह वाकये कहलाते है हम आपको उनके कुछ उदहारण देना चाहेंगे

  1. सीता बहुत सुन्दर है
  2. राम बहुत आलसी बच्चा है
  3. कर्ण बहादुर बच्चा है

रचना और अर्थ के आधार पे वाक्य के भेद होते है

  1. रचना के आधार पे 3 वाक्य होते है
  2. सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य, मिश्रित वाक्य
  3. अर्थ के अधहार पे 8 वाक्य के भेद होते है
    विधान वाचक वाक्य: वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण: इंडिया गेट दिल्ली में है
    निषेधवाचक वाक्य: जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। उदहारण: मैंने दूध नहीं पिया।
    प्रश्नवाचक वाक्य: वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण: ये किसकी किताब है
    आज्ञावाचक वाक्य: वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण: मुझे अब चलना चाहिए।
    विस्मयादिवाचक वाक्य: वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलता है। उदाहरण: ओह! कितनी ठंडी रात है।
    इच्छावाचक वाक्य: जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण: भगवान तुम्हे दीर्घायु प्रदान करे।
    संकेतवाचक वाक्य: जिन वाक्यों में एक बात या काम का होना दूसरी बात या काम के होने पर निर्भर करता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण:
    परिश्रम किया है, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
    संदेहवाचक वाक्य: जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण: शायद मैं लॉटरी जीत जाऊँ।

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