डॉ. रामविलास शर्मा का जीवन परिचय
Contents
डॉ. रामविलास शर्मा की जीवनी में उनके जन्म, पुरस्कार व सम्मान, रामविलास शर्मा की आलोचना, रामविलास शर्मा की मृत्यु जानकारी शामिल है।
डॉ. रामविलास शर्मा का जीवन परिचय
यह सर्वविदित है कि डॉ. रामविलास शर्मा एक उत्कृष्ट आलोचक हैं जो भाषा, साहित्य और समाज का समग्र रूप से मूल्यांकन करते हैं। जब उन्होंने कहा कि आर्य एक भारतीय मूल के हैं, ऐतिहासिक मुद्दों से निपटते हुए जैसे कि उनकी पहली प्रतिबद्धता भारतीय इतिहास में हर मुद्दे को हल करने की थी, इसने विरोध को जन्म दिया। वे ब्रिटिश-लिखित भारतीय इतिहास को एक साजिश के रूप में देखते हैं क्योंकि भारत एक बहुत पुराना देश है।
डॉ. रामविलास शर्मा का जन्म
रामविलास शर्मा ने एम.ए. और पीएच.डी. लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में। उनका जन्म 10 अक्टूबर, 1912 को उत्तर प्रदेश के उच्छी गांव में हुआ था। वे समकालीन हिंदी साहित्य के जाने-माने आलोचक, निबंधकार, विचारक और कवि थे। उन्होंने पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में पढ़ाया था। के.एम. रामविलास शर्मा और आगरा। दिल्ली में रहते हुए, मुंशी, जो विद्यापीठ के निदेशक भी थे, साहित्य, समाज और इतिहास के बारे में सोचते और लिखते रहे। उनकी कुछ कविताएँ अज्ञेय जी द्वारा प्रकाशित एक संकलन तार सप्तक में संकलित हैं।
पुरस्कार व सम्मान
रामविलास शर्मा को 1970 में ‘निराला की साहित्य साधना’ के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया फिर 1988 में “शलाका सम्मान” 1990 में “भारत भारती पुरस्कार” 1991 में भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी के लिए “व्यास सम्मान” दिया गया 1999 में “साहित्य अकादमी” की महत्व सदस्यता सम्मान 2000 में 11लाख रुपए दिए गए और सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार दिया गया ये सभी उनकी जीवन की उपलब्धिया है
Also Read: Hindi Diwas Speech 2022: 14 सितंबर हिंदी दिवस पर यह सरल भाषण देकर जीत सकते हैं इनाम
रामविलास जी ने पुरस्कार में मिली राशि को हिंदी साहित्ये के विकाश के लिए दान कर दिए अपने साहित्य में इन्होंने भारतीय समाज के जनजीवन की समस्याएं और उनकी आकांक्षाओं को स्थान दिया अपने उग्र और उत्तेजना पूर्ण निबंधों से हिंदी समीक्षा को गति प्रदान की है इनके निबंध विचार प्रधान और व्यक्ति व्यंजक है निबंधों में स्पष्ट कथन विचार की गंभीरता और भाषा की सहजता प्रमुख विशेषताएं हैं खड़ी बोली में तत्सम शब्दों की बहुलता है निबंध में विचार और भाषा के स्तर पर एक जीवंतता मिलती है |
रामविलास शर्मा की आलोचना
रामविलाश शर्माजी की, डॉक्टर शर्मा का महल एक प्रमुख आलोचना पद्धति प्रगतिवादी समीक्षा के पितामह के रूप में स्वीकार किया गया है इनके अनुसार केवल विश्व की दृष्टि से बल्कि कार्य की दृष्टि से भी अधिक विस्तृत है उन्होंने हिंदी समीक्षा की चर्चा करते हुए जिन विषयों को हुआ है उनमें संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य, भाषा विज्ञान इतिहास मार्क्सवाद, उपनिवेशवाद, समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र जैसे विषय परस्पर समायोजित होकर व्यक्त हो गए हैं
इतिहास, समाज और संस्कृति एवं दर्शन
- मानव सभ्यता का विकास -1956
- सन् सत्तावन की राज्यक्रान्ति -1957 (संशोधित-परिवर्द्धित संस्करण सन् सत्तावन की राज्यक्रान्ति और मार्क्सवाद -1990)
- भारत में अंग्रेज़ी राज और मार्क्सवाद (दो खण्डों में) -1982
- मार्क्स और पिछड़े हुए समाज -1986
- मार्क्स, त्रोत्स्की और एशियाई समाज -1986
- स्वाधीनता संग्राम : बदलते परिप्रेक्ष्य -1992
- भारतीय इतिहास और ऐतिहासिक भौतिकवाद -1992
- पश्चिमी एशिया और ऋग्वेद -1994
- भारतीय नवजागरण और यूरोप -1996
- इतिहास दर्शन -1995
- भारतीय संस्कृति और हिन्दी प्रदेश (दो खण्डों में) -1999
- गाँधी, आम्बेडकर, लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएँ -2000
- भारतीय सौन्दर्य-बोध और तुलसीदास -2001 (अपूर्ण)
साहित्यिक आलोचना
- प्रेमचन्द -1941
- भारतेन्दु युग -1943 (परिवर्द्धित संस्करण भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा की विकास परम्परा -1975)
- निराला -1946
- प्रेमचन्द और उनका युग -1952
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र -1953 (परिवर्द्धित संस्करण भारतेन्दु हरिश्चन्द्र और हिन्दी नवजागरण की समस्याएँ -1985)
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ -1954
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना -1955
- विराम चिह्न -1957 (संशोधित-परिवर्द्धित संस्करण-1985)
- आस्था और सौन्दर्य -1961 (संशोधित-परिवर्द्धित संस्करण-1990)
- निराला की साहित्य साधना-1 (जीवनी) -1969
- निराला की साहित्य साधना-2 (आलोचना) -1972
- निराला की साहित्य साधना-3 (पत्राचार संग्रह एवं बृहद् भूमिका) -1976
- महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण -1977
- नयी कविता और अस्तित्ववाद -1978
- परम्परा का मूल्यांकन -1981
- भाषा, युगबोध और कविता -1981
- कथा विवेचना और गद्यशिल्प -1982
- मार्क्सवाद और प्रगतिशील साहित्य -1984
- भारतीय साहित्य के इतिहास की समस्याएँ -1986
- भारतीय साहित्य की भूमिका -1996 (‘संगीत का इतिहास’ भी मूलतः इसी में है।)
- प्रगतिशील कविता की वैचारिक पृष्ठभूमि (सन् 1990 में ‘रूपतरंग और प्रगतिशील कविता की वैचारिक पृष्ठभूमि’ में अन्तर्वर्ती तृतीय खंड के रूप में प्रकाशित; परिशिष्ट आदि को छोड़कर कुल 160 पृष्ठों की पाठ्य सामग्री
रामविलास शर्मा पर केन्द्रित विशिष्ट साहित्य
- रामविलास शर्मा लेखक- शंभुनाथ, प्रकाशक- साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2011
- डॉ॰ रामविलास शर्मा : नवजागरण एवं इतिहास लेखन, लेखक- कर्मेन्दु शिशिर, प्रकाशक- विभा प्रकाशन, 50, चाहचंद, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण-2015
- रामविलास शर्मा का महत्त्व, लेखक- रविभूषण, प्रकाशक- राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण- 2018
- हिन्दी आलोचना की परंपरा और डॉ. रामविलास शर्मा, लेखक – डॉ. कालूराम परिहार (ISBN : 978-81-7975-246-3) प्रकाशक : अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा. लि., नई दिल्ली (2009)
शर्मा जी पर केन्द्रित अनेक पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित होते रहे हैं, जिनमें उपलब्ध और विशेष पठनीय हैं –
- रामविलास शर्मा – सं॰-विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (‘दस्तावेज’ का विशेषांक, पुस्तक रूप में वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- हिन्दी के प्रहरी : डाॅ. रामविलास शर्मा – सं॰-विश्वनाथ त्रिपाठी, अरुण प्रकाश (‘वसुधा’ का विशेषांक, पुस्तक रूप में वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- युगपुरुष रामविलास शर्मा – सं॰-जय नारायण बुधवार, प्रमिला बुधवार (‘कल के लिए’ का विशेषांक, पुस्तक रूप में स्वराज प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- उद्भावना अंक-104, नवंबर-दिसंबर 2012, रामविलास शर्मा महाविशेषांक, अतिथि संपादक- प्रदीप सक्सेना (पुस्तक रूप में रामविलास शर्मा का ऐतिहासिक योगदान, संपा॰ प्रदीप सक्सेना, अनुराग प्रकाशन, नयी दिल्ली से, प्र॰ सं॰-2013)
- समकालीन भारतीय साहित्य, अंक-167 (मई-जून 2013)
- रामविलास शर्मा और हिन्दी आलोचना, संपादक- रविनन्दन सिंह, हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण 2016 (हिन्दुस्तानी (पत्रिका) अक्टूबर-दिसंबर 2012 के रामविलास शर्मा स्मृति अंक का पुस्तकीय रूप)
- भारतीय नवजागरण और रामविलास शर्मा का चिंतन, संपादक- रविरंजन, प्रकाशक- हिन्द-युग्म, दिल्ली, प्रथम संस्करण-2017 (सन् 2012 में प्रकाशित ‘लोकचेतना वार्ता’ के रामविलास शर्मा विशेषांक का पुस्तकीय रूप)
समग्रता में विचार करने वाले दो अति महत्त्वपूर्ण/अवश्य पठनीय आलेख –
- अपने-अपने रामविलास – प्रणय कृष्ण [‘जनमत’ 2002 में प्रकाशित; 2012 में पुनः प्रकाशित। प्रणय कृष्ण की पुस्तक ‘शती स्मरण’ (स्पाॅट क्रिएटिव सर्विसेज, 43 बी, लिडिल रोड, जॉर्ज टाउन, इलाहाबाद से प्रकाशित) में संकलित।]
- ‘मैं’ और ‘वे’ के बीच रामविलास शर्मा का ज्ञानकांड – अभय कुमार दुबे (‘तद्भव’-26, अक्तूबर 2012 में प्रकाशित। वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित अभय कुमार दुबे की पुस्तक ‘हिंदी में हम’ में हिंदी का ज्ञानकाण्ड शीर्षक से संकलित।)
साहित्य के संबंध में
प्राथमिक साहित्यिक सिद्धांत या तो बुनियादी हैं या व्यापक प्रगतिवाद से भिन्न हैं। सबसे पहले, सौंदर्य के वस्तुनिष्ठ अस्तित्व और सामाजिक विकास पर लेख सुंदर में उनके परस्पर क्रिया के रूप में चर्चा की गई है, न कि विशेष रूप से व्यक्ति या विषय में तय किए जाने के रूप में। वे देखते हैं कि वे साहित्य को अर्थशास्त्र, भाषा, संस्कृति और भूगोल द्वारा निर्मित जातीय मानसिकता से जोड़ते हैं, निराला की भव्यता का वर्णन करते हैं, उनके प्राकृतिक उपहार को पहचानते हैं, और प्रगतिशील आंदोलन में प्रेम की संभावना को मधुरता से स्वीकार करते हैं।
रामविलास शर्मा की मृत्यु
30 मई 2000 ईस्वी को रामविलास शर्मा का देहांत हो गया था