अनुप्रास अलंकार के 55 उदाहरण विवरण सहित हिंदी में

उदाहरण : आपको मालूम ही होगा की अनुप्रास अलंकार अलंकार का ही एक प्रकार है। तो आज में यहां सिर्फ अनुप्रास अलंकार के उदाहरण आपको बताने जा रहा हु।

काव्य को सुन्दर बनाने के लिए वर्ण की बार बार आवृति कराई जाती है जहाँ वर्ण की बार बार आवर्ती हो उसको अनुप्रास अलंकार कहते है

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

Anupras alankar ke udaharan निचे हैं

उदाहरण 1

मुदित महापति मंदिर आये।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है। यह आवृति वाक्य का सौंदर्य बढ़ा रही है।

उदाहरण 2

मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 3

मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

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उदाहरण 4

कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की शुरू के तीन शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 5

कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 6

कंकण किंकिण नुपुर धुनी सुनी।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 7

तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 8

चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण 9

चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण 10

कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी ।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण 11

रघुपति राघव राजा राम।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘र’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण 12

कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी ॥

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क , भ’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण 13

तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ||

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 14

कालिंदी कूल कदंब की डरिन

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 15

सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं ।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘स’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 16

चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘र’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।

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उदाहरण 16

काकी कंकु दे

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

उदाहरण 17

रघुपति राघव राजा राम

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की ‘र’ वर्ण की आवृति हो रही है, एवं हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतएव यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।

कुछ और उदहारण

  1. चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से।
  2. मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए
  3. गुरु पद रज मृदु मंजुल
  4. काकी कंकु दे
  5. बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा
  6. चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में
  7. राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस , बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।३४ रावनु रथी बिरथ रघुबीरा।
  8. विमल वाणी ने वीणा ली ,कमल कोमल क्र में सप्रीत।
  9. रघुपति राघव राजा राम
  10. कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को
  11. कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है
  12. कालिंदी कूल कदंब की डारिन
  13. कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि।
  14. तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए.
  15. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि
  16. बरसत बारिद बून्द गहि
  17. चमक गई चपला चम चम
  18. कुकि कुकि कलित कुंजन करत कलोल)
  19. रावनु रथी विरथ रघुवीरा
  20. खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की
  21. हमारे हरि हारिल की लकरी
  22. तू मोहन के उरबसी हवे उरबसी समान
  23. कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सं राम ह्रदय गुनि
  24. बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहत काकी है बेटी
  25. गुन करि मोहि सूर सँवारे को निरगुन निरबैहै
  26. सहज सुभाय सुभग तन गोरे।
  27. जब तुम मुझे मेले में मेरे खिलोने रूप पर।
  28. संसार सारा आदमी की चाल देख हुआ चकित
  29. पेट पीठ दोनों मिलकर है एक, चल रहा लकुटिया टेक।
  30. सुंदर सुठि सुकुमार , बिबिध भांति भूषन बसन
  31. अति अगाधु अति औथरौ नदी कूप सरु बाइ।
  32. चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे
  33. पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही
  34. घेर घेर घोर गगन शोभा श्री
  35. हरेश हठीला हुआ
  36. मीनाक्षी मित्तल से मिली
  37. हिना हुई हरिनाम दीवानी

तो दोस्तों यहाँ पे मेने अनुप्रास अलंकार के 55 उदाहरण आपको बताये है यह जरूर उपयोगी होंगे।

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