Anupras alankar ke udaharan, अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?
Anupras alankar ke udaharan, अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?
इस लेख में हमनें अलंकार के भेद अनुप्रास अलंकार के बारे में चर्चा की है। Anupras alankar ke udaharan
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा= जब किसी काव्ये को सुन्दर और अच्छा बनाने के लिए किसी वर्ण की बार बार आवर्ती हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है|
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
- मुदित महापति मंदिर आये
- मधुर मधुर मुस्कान मनोहर , मनुज वेश का उजियाला
- कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है
- कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी
- कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं
- कंकण किंकिण नुपुर धुनी सुनी
- तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए
- चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में
- कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी
- रघुपति राघव राजा राम
- कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी
- कालिंदी कूल कदंब की डारिन
- संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो
- मुदित महिपत मंदिर आये। सेवक सचिव सुमंत बुलाये।।
- जो सुख सुजस सुलभ मोहिं स्वामी।
- तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ।
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में
- ‘भगवान! भागे दुःख, जनता देश की फूले-फले
- कल कानन कुण्डल मोर पंखा। उर में वनमाला विराजति है
- दमके दंतिया दुत दामन ज्यौं किलकें कलकल बाल विनोद करें | (व्याख्या= ‘द’ ‘क’ और ‘ल’ वर्ण की आवृति) Read also about Anupras alankar ke udaharan with other sources
एक की व्याख्या आपको हम करके देंगे और सभी की आप करे उसको देख के |
और सभी मुख्य अलंकार
- यमक अलंकार
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- श्लेष अलंकार
- यमक और श्लेष अलंकार में अंतर
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