जयशंकर प्रसाद की रचना
Jaishankar Prasad Ki Rachna : Jaishankar prasad एक महान कवी थे। जिन्होंने ने हमारे समाज को बहुत सारी रचनाये प्रदान की है। आज आप यहां पर जयशंकर प्रसाद की तमाम रचना के बारेमे अच्छे से समज सके उस भाषा में जानने वाले हैं।

जयशंकर प्रसाद ने लिखी हुई मजेदार कहानी मेने निचे लिखी जो आपके पढ़ने लायक हैं।
जयशंकर प्रसाद की रचनाओं को जानने से पहले में आपको जयशंकर प्रसाद के बारेमे कुछ परिचय दे देता हु। जो आपको उपयोगी हो सकता हैं।
परिचय :
जयशंकर प्रसाद एक कवि थे। जिन्होंने सिर्फ 9 वर्ष की आयु में ही कवी होने का परिचय दे दिया था। जय संकर प्रसाद ने साहित्य की सभी विधाओं में रचना की है।
जन्म – जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 में काशी के सुंघनी साहू परिवार में हुआ था।
पहली रचना – जयसंकर प्रसाद की पहली रचना विक्रम सवंत 1963 में भारतेन्दु में प्रकाशित हुई।
जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ जो की कहानियाँ, निबंध, उपन्यास, नाटक, मुक्तक, खण्डकाव्य, महाकाव्य जैसे सभी क्षेत्रों में उन्होंने अद्वितीय प्रतिभा हासिल की हुई हैं।
मृत्यु – महान कवी जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 में हुई थी।
जयशंकर प्रसाद की रचना
जयशंकर प्रसाद की काव्य रचना
- चित्राधार – चित्राधार काव्य 1989 में प्रकाशित हुआ था।
- कानन-कुसुम – कानन कुसुम 1918 में प्रकाशित हुआ था।
- महाराणा का महत्व – यह काव्य 1914 में प्रकाशित हुआ था।
- प्रेम-पथिक – जयप्रसाद का यह काव्य 1909 में प्रकाशित हुआ।
- झरना – झरना 1918 मे प्रकाशित हुआ।
- आँसू – आंसू काव्य 1925 मे प्रकाशित हुआ।
- लहर – जयशंकर की लहर काव्य रचना 1933 मे प्रकाशित हुई थी।
- कामायनी – कामायनी महाकाव्य 1936 मे प्रकाशित हुआ।
जयशंकर प्रसाद की नाटक रचना
- राज्यश्री – जयशंकर शंकर जी की नाटक रचना राज्यश्री प्रकाशित 1914 में हुई थी।
- प्रायश्चित्त – जयशंकर प्रसाद का यह नाटक प्रकाशित 1913 में हुई थी।
- सज्जन – यह नाटक 1910 मे प्रकाशित हुआ था।
- कल्याणी-परिणय – यह नाटक 1912 मे प्रकाशित हुआ था।
- अजातशत्रु – जयशंकर प्रसाद जी की यह नाटक रचना 1922 मे प्रकाशित हुई थी।
- विशाख – जयशंकर प्रसाद जी की यह नाटक रचना 1921 मे प्रकाशित हुई थी।
- जनमेजय का नागयज्ञ – यह नाटक 1926 मे प्रकाशित हुआ था।
- कामना – यह नाटक 1927 मे प्रकाशित हुआ था।
- स्कन्दगुप्त – स्कंदगुप्त 1928 मे प्रकाशित हुआ।
- एक-घूँट – एक घूंट नाटक 1929 मे प्रकाशित हुआ।
- ध्रुवस्वामिनी – जयशंकर प्रसाद जी का यह नाटक 1933 मे प्रकाशित हुआ था।
- अग्निमित्र – अग्निमित्र 1944 मे प्रकाशित हुआ था।
- करुणालय – करुणालय 1913 मे प्रकाशित हुआ।
- चन्द्रगुप्त – जयशंकर प्रसाद जी का यह नाटक 1931 मे प्रकाशित हुआ था।
जयशंकर प्रसाद का कहानी संग्रह
- ग्राम – जयशंकर प्रसाद जी का यह कहानी 1910 मे प्रकाशित हुआ। जो इनकी प्रथम कहानी हैं।
- आकाशदीप – आकाशदीप कहानी संग्रा 1929 मे प्रकाशित हुआ जिसमे 19 कहानिया हैं। जैसे की – आकाशद्वीप, ममता, स्वर्ग के खंडहर, सुनहला साँप, हिमालय का पथिक, भिखारिन, प्रतिध्वनि, कला, देवदासी, समुद्र-संतरण, बैरागी, बंजारा, चूड़ीवाला, अपराधी, प्रणय-चिह्न, रूप की छाया, ज्योतिष्मती, रमला और बिसाती।
- छाया – जयशंकर प्रसाद की यह रचना 1912 मे प्रकाशित हुई थी। छाया में 6 कहानिया हैं।
- इन्द्रजाल – जयशंकर प्रसाद जी की कहानी संग्रह रचना इंद्रजाल 1936 मे प्रकाशित हुआ जिसमे 14 कहानिया हैं। जैसे की – इन्द्रजाल, सलीम, छोटा जादूगर, नूरी, परिवर्तन, सन्देह, भीख में, चित्रवाले पत्थर, चित्रमन्दिर, ग़ुण्डा, अनबोला, देवरथ, विराम चिह्न और सालवती।
- प्रतिध्वनि – जयशंकर प्रसाद जी प्रतिध्वनि कहानी संग्रह 1926 में प्रकाशित हुआ और इसमें कुल 15 कहानियो का समावेश हैं। जैसे की – प्रसाद, गूदड़भाई, गुदड़ी के लाल, अघोरी के लाल, पाप की पराजय, सहयोग, पत्थर की पुकार, फस पार का योगी, करुणा की विजय, खंडहर की लिपि, कलावती की शिक्षा, चक्रवर्ती की स्तम्भ, दुखिया, प्रतिमा, प्रलय।
- आँधी – जयशंकर प्रसाद जी की आंधी काव्य संग्रह 1929 में प्रकाशित हुआ। जिसमे 11 कहानिया हैं। आँधी, मधुआ, दासी, घीसू, बेड़ी, व्रतभंग, ग्राम-गीत, विजया, अमिट स्मृति, नीरा और पुरस्कार।
जयशंकर की चम्पू रचना
- उर्वशी – 1906
- बभ्रुवाहन -1907
- चित्रांगदा
जयशंकर प्रसाद की कहानिया
- तानसेन
- चंदा
- ग्राम
- रसिया बालम
- शरणागत
- सिकंदर की शपथ
- चित्तौड़-उद्धार
- अशोक
- गुलाम
- जहाँआरा
- मदन-मृणालिनी
- प्रसाद
- गूदड़ साईं
- गुदड़ी में लाल
- अघोरी का मोह
- पत्थर की पुकार
- उस पार का योगी
- करुणा की विजय
- खंडहर की लिपि
- कलावती की शिक्षा
- चक्रवर्ती का स्तंभ
- दुखिया
- प्रतिमा
- प्रलय
- आकाश
- इनके आलावा भी कहानिया हैं। …
ग्राम कहानी
ग्राम जयशंकर प्रसाद जी की कहानिसंग्रह रचना है। इसकी कहानी में आपको थोड़े शब्दों में समजा देता हु। कहानी पढ़ने लायक है। पूरा पढियेगा।
जयशंकर प्रसाद जी की यह ग्राम कहानी में एक मोहनलाल कर के कोई व्यक्ति होता है। जो जमींदार का लड़का है। लेकिन कहानी के अनुसार उसकी उम्र ज्यादा हो सकती हैं।
मोहनलाल शाम के समय ट्रेन से उतरकर कुसुमपुर नाम के गांव जाना चाहता था।
शाम का समय था इसलिए थोड़ा थोड़ा अँधेरा होने लगा। ऐसे में मोहनलाल कुसुमपुर जाने का रास्ता भूल जाता है और गलती से किसी और रस्ते चला जाता है।
ज्यादा आगे चलने के बाद उसे पता चला की यह रस्ता कुसुमपुर का नहीं है। इसलिए मोहनलाल को कुसुमपुर का रास्ता जानना था। की कोनसा रास्ता कुसुमपुर जाता हैं।
ऐसे में मोहनलाल को एक 15 साल की लड़की दिखाई देती है। और वो उस लड़की को कुसुमपुर का रास्ता पूछता है। ऐसे में लड़की मोहनलाल को कहती है की मुझे मालूम नहीं है।
लड़की बताती है की मेरी माँ को कुसुमपुर का रास्ता मालूम होगा। तो मोहनलाल उस लड़की के साथ साथ उसकी माँ के पास जाता है। उसकी माँ को बताता हैं की में कुसुमपुर का रास्ता भूल गया हु।
कुसुमपुर गांव का नाम सुनते ही लड़की की माँ रोने लगती हैं। ऐसे में मोहनलाल उस औरत को रोने का कारण पूछता हैं।
फिर वो लड़की की माँ मोहनलाल को पानी पिलाने के बाद बताती है की – उस औरत का पति कुसुमपुर का जमींदार था। उनका कुल भी ऊँचा था। लेकिन किसी कारणवस उन्होंने किसी कुन्दनलाल से कर्ज लिया।
धीरे धीरे कर्ज बढ़ता गया। ज्यादा कर होने की वजह से उसका पति कही से धन इकठ्ठा कर के कर्ज चुकाने गया। लेकिन कुन्दनलाल उसकी जमीन लेना चाहता था। कुन्दनलाल के दिमाग में कपट था।
इसलिए, कुन्दनलाल ने उसके पति को कहा की थोड़े दिन बाद पैसे दे देना। और जमीन छुड़ा लेना। उसका पति पैसे लेकर घर आ गया और धीमे धीमे वो धन भी कम हो गया।
वहा कुन्दनलाल के पास कर्ज और ज्यादा बढ़ गया। और कुन्दनलाल ने बहुत ही कम धन में उस जमीन को नीलाम कर दिया। और यह दुःख औरत का पति सह न सका और उसकी मौत हो गई।
यह सब मोहनलाल को उस औरत ने बताया। मोहनलाल कुसुमपुर का सही रास्ता पूछकर चल गया। लेकिन वो कुन्दनलाल और कोई नहीं बल्कि मोहनलाल के पिता थे। जिन्होंने उस औरत को इतना दुःख दिया।
समाप्त कहानी
इस कहानी के आलावा भी बोहत सारी कहानिया जयशंकर प्रसाद जी ने लिखी है।
सारांश
जयशंकर प्रसाद एक महान कवी थे एक महान लेखक थे। मेने जयशंकर प्रसाद जी की रचनाये आपके सामने रखी है जो आपको बहुत ही उपयोगी होगी। जयशंकर प्रसाद जी की रचना ऊपर दी गई ग्राम कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी।
धन्यवाद
यह भी जरूर पढ़िए