पद (Word) किसे कहते हैं और इसके प्रकार | पहचान तथा FAQS

पद (Word) किसे कहते हैं और इसके प्रकार:

पद वह लघुतम वाक्यांश होता है जिसका अपना स्वतंत्र अर्थ होता है। पद को भाषा के मूलभूत घटक के रूप में माना जाता है।

 उदाहरण:-

घर (संज्ञा)
लिखना (क्रिया)
लाल (विशेषण)
धीरे (क्रियाविशेषण)
मैं (सर्वनाम)
और (संयोजक)
आह! (विस्मयादिबोधक)
पुस्तकालय (पदबंध संज्ञा)
सुंदरसे (पदबंध विशेषण)
खेलकूदना (पदबंध क्रिया)

इन उदाहरणों में शब्द और पदबंध दोनों शामिल हैं। साथ ही विभिन्न वर्गों के पद भी दिए गए हैं जैसे संज्ञा, क्रिया, विशेषण, क्रियाविशेषण, सर्वनाम, संयोजक और विस्मयादिबोधक।

हिंदी व्याकरण में मुख्य रूप से पद को दो भागों में बाँटा गया है:

1. शब्द (Words)
2. पदबंध (Compound Words)

शब्द (Words) की परिभाषा:

शब्द वह पद है जिसमें एक ही शब्द होता है और उसका अपना स्वतंत्र अर्थ होता है। जैसे – घर, पुस्तक, लिखना आदि।

 उदाहरण:-

किताब (संज्ञा) – मैंने एक नई किताब खरीदी।
पढ़ना (क्रिया) – वह रोज अखबार पढ़ता है।
हरा (विशेषण) – हमारे घर के सामने हरा बगीचा है।
धीरे (क्रियाविशेषण) – उसने धीरे-धीरे चलना सीखा।
हम (सर्वनाम) – हम सभी परिवार के साथ छुट्टियां मनाएंगे।
लेकिन (संयोजक) – मैं जाना चाहता था लेकिन मुझे काम था।
अरे! (विस्मयादिबोधक) – अरे! तुम यहां कैसे आए?
अंगूर (संज्ञा) – मुझे अंगूर का रस बहुत पसंद है।
आना (क्रिया) – कल मेरे घर आना।
सूरज (संज्ञा) – सूरज डूबने लगा है।

इन उदाहरणों से आप देख सकते हैं कि शब्द कैसे वाक्यों में प्रयोग होते हैं और अपने अर्थ व भूमिका निभाते हैं। विभिन्न वर्गों के शब्दों का उपयोग किया गया है जैसे संज्ञा, क्रिया, विशेषण, क्रियाविशेषण, सर्वनाम, संयोजक और विस्मयादिबोधक।

पदबंध (Compound Words)की परिभाषा:

पदबंध वह पद है जिसमें दो या दो से अधिक शब्द मिलकर बने होते हैं और उनका अपना स्वतंत्र अर्थ होता है।

उदाहरण:-

नवयुवक (पदबंध संज्ञा) – उस नवयुवक में बहुत प्रतिभा है।
सुखपूर्वक (पदबंध क्रियाविशेषण) – वह सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा है।
अतिथिसत्कार (पदबंध संज्ञा) – हमारे घर में अतिथियों का स्वागत और सत्कार किया जाता है।
सर्वप्रथम (पदबंध क्रियाविशेषण) – सर्वप्रथम सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए।
राजकुमारी (पदबंध संज्ञा) – उस नगर की राजकुमारी बहुत सुंदर थी।
पारिवारिक (पदबंध विशेषण) – उसका पारिवारिक जीवन सुखमय है।
कुंजीपुट्ट (पदबंध क्रिया) – उसने गलती से कुंजीपुट्ट कर दी।
नगरनिगम (पदबंध संज्ञा) – नगरनिगम को शहर की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
भूखमरी (पदबंध संज्ञा) – कई देशों में लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं।
आत्मरक्षा (पदबंध संज्ञा) – आत्मरक्षा के लिए कराटे सीखना अच्छा है।

इन उदाहरणों से आप देख सकते हैं कि पदबंध कैसे दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं और वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं। विभिन्न वर्गों के पदबंध दिए गए हैं जैसे संज्ञा, क्रियाविशेषण, विशेषण और क्रिया।

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इसके अलावा, पदों को उनके अर्थ और कार्य के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है। प्रमुख वर्गीकरण इस प्रकार हैं:

1. संज्ञा (Nouns)
2. सर्वनाम (Pronouns)
3. विशेषण (Adjectives)
4. क्रिया (Verbs)
5. क्रियाविशेषण (Adverbs)
6. संयोजक (Conjunctions)
7. विस्मयादिबोधक (Interjections)

इस प्रकार, पद भाषा का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसके विभिन्न प्रकार हैं जो भाषा के संरचना और अर्थ को समझने में मदद करते हैं।

शब्द और पद में निम्नलिखित मुख्य अंतर हैं:-

शब्द पद
शब्द एक लघु इकाई है जिसका अपना अर्थ होता है। पद भी एक लघु इकाई है लेकिन यह एक या एक से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है।
शब्द केवल एक शब्द से बना होता है। पद एक शब्द या पदबंध हो सकता है।
जैसे – घर, पुस्तक, लिखना जैसे – घर, पुस्तकालय, लिखनेवाला
शब्द एक वर्ग से संबंधित होता है जैसे संज्ञा, क्रिया आदि। पद भी एक वर्ग से संबंधित होता है लेकिन यह पूर्ण अर्थ का वाहक होता है।
शब्द अधिकतर छोटा होता है। पद शब्द से बड़ा होता है क्योंकि यह एक या एक से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है।
शब्द अपने आप में पूर्ण अर्थ का वाहक नहीं होता। पद पूर्ण अर्थ का वाहक होता है।

इस प्रकार, शब्द एक भाषा की मूलभूत इकाई है जबकि पद एक लघु वाक्यांश है जिसमें एक या एक से अधिक शब्द होते हैं और जिसका अपना पूर्ण अर्थ होता है।

हम वाक्यों में पदों की पहचान कैसे करते है? उदाहरण के साथ समझाइये 

हम वाक्यों में पदों की पहचान निम्नलिखित तरीकों से कर सकते हैं:-

  1. स्वतंत्र अर्थवाले शब्द या शब्द समूह को पद के रूप में पहचानना: उदाहरण – “राम स्कूल गया।” इस वाक्य में “राम”, “स्कूल” और “गया” तीन अलग-अलग पद हैं।
  2. संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि शब्दों को पद के रूप में पहचानना: उदाहरण – “वह बहुत तेज दौड़ता है।” इसमें “वह” सर्वनाम पद, “बहुत” विशेषण पद, “तेज” विशेषण पद और “दौड़ता” क्रिया पद है।
  3. पदबंधों को एक पद के रूप में पहचानना: उदाहरण – “मेरा भाई नौकरीपेशा है।” यहां “नौकरीपेशा” एक पदबंध संज्ञा पद है।
  4. संयोजकों और विस्मयादिबोधकों को भी पद के रूप में पहचानना: उदाहरण – “मैं और तुम दोस्त हैं, लेकिन वह नहीं। अरे! क्या हुआ?” यहां “और”, “लेकिन” संयोजक पद हैं तथा “अरे” विस्मयादिबोधक पद है।

इस प्रकार, हम वाक्य में स्वतंत्र अर्थवाले शब्दों और शब्द समूहों को पहचानकर उन्हें पद घोषित कर सकते हैं। साथ ही विभिन्न वर्गों के शब्दों और पदबंधों को भी पदों के रूप में पहचान सकते हैं।

लोगों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1. क्या हिंदी व्याकरण के पद का ज्ञान हुए बिना कोई व्यक्ति शुद्ध हिंदी लिख या पढ़ सकता है?
ANS:- नहीं, बिना हिंदी व्याकरण के पदों के ज्ञान के किसी व्यक्ति के लिए शुद्ध हिंदी लिखना या पढ़ना बहुत मुश्किल होगा।

इसके कारण निम्नलिखित हैं:-

पद वाक्य की मूलभूत इकाइयां हैं: पद ही वे अंतिम इकाइयां हैं जिनसे वाक्य बनते हैं। यदि किसी व्यक्ति को पदों की पहचान और उनके प्रयोग का ज्ञान नहीं होगा, तो वह सही वाक्य विन्यास नहीं कर पाएगा।
शब्दों की वर्गीय पहचान: पद के द्वारा ही शब्द की वर्गीय पहचान होती है जैसे संज्ञा, क्रिया, विशेषण आदि। यदि व्यक्ति को पदों का ज्ञान न हो तो वह शब्दों का सही प्रयोग नहीं कर पाएगा।
वाक्य विन्यास: वाक्य विन्यास में पदों का क्रम बहुत महत्वपूर्ण होता है। बिना पदों के ज्ञान के व्यक्ति सही वाक्य विन्यास नहीं कर पाएगा।
शब्द-रूप ज्ञान: पदों के ज्ञान से ही शब्द के विभिन्न रूपों की पहचान होती है जैसे संज्ञा के विभिन्न कारक रूप, क्रिया के पुरुष, वचन और काल रूप आदि। इनके बिना शुद्ध लेखन कठिन है।
अर्थग्रहण: पदों के ज्ञान से ही वाक्यों का सही अर्थग्रहण होता है। इसके अभाव में व्यक्ति को वाक्यों के सटीक अर्थ समझने में परेशानी होगी।

इसलिए हिंदी व्याकरण में पद का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके बिना किसी व्यक्ति के लिए शुद्ध हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत कठिन होगा।

इसलिए हिंदी व्याकरण में पद का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके बिना किसी व्यक्ति के लिए शुद्ध हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत कठिन होगा।

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