यमक अलंकार के उदाहरण 30 उदाहरण समजुती के साथ
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Yamak Alankar Ke Udaharan
Yamak Alankar Ke Udaharan : यमक अलंकार, अलंकार का एक भेद है। आज आप इस पोस्ट के माध्यम से यमक अलंकार के उदाहरण जानने वाले हैं। जो आपको यमक अलंकार समझने में ज्यादा मददरूप हो सकते हैं।
जहां एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये। लेकिन हर बार अर्थ अलग अलग हों। वहां यमक अलंकार होता है।
तो चलो यमक अलंकार के उदाहरण जानते हैं।
यमक अलंकार के उदाहरण
उदाहरण 1
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।
ऊपर दिए गए उदाहरण में, कनक शब्द दो बार आ रहा है। और अर्थ अलग अलग है।
उदाहरण 2
भजन कह्यौ ताते भज्यौ, भज्यौ न एको बार।
दूरि भजन जाते कह्यौ,सो तू भज्यौ गँवार। ।
इस यमक अलंकार उदाहरण में भज्यौ शब्द दो बार है।
उदहारण 3
जिसकी समानता किसी ने कभी पाई नहीं।
पाई के नहीं हैं अब वे ही लाल माई के।
इस उदाहरण में पाई शब्द दो बार आया है इसलिए यह यमक अलंकार का उदाहरण है। जिसके अर्थ अलग अलग है।
उदाहरण 4
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची।
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।।
यहां पे दिया शब्द दो बार आया हुआ है।
पढ़े : उपमा अलंकार किसे कहते हैं
उदाहरण 5
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दै मन का मनका फेर।।
उदाहरण 5 में मनका शब्द दो बार आया हुआ है इसलिए यह यमक अलंकार का उदाहरण है।
उदहारण 6
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी।
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।।
ऊपर दिए गए उदाहरण में मंदर और अंदर शब्द दो दो बार है।
उदाहरण 7
तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी वै उरबसी समान।
ऊपर दिए गए उदाहरण में उरबसी शब्द तीन बार आया हुआ है।
उदाहरण 8
बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
इस उदाहरण में हरिनी शब्द दो बार आया हुआ है। जिसके अलग अलग अर्थ है।
उदाहरण 9
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास।
ऊपर के उदाहरण में जगती शब्द दो बार है।
उदाहरण 10
भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर।
यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर।।
ऊपर के उदाहरण में जी, सी और पी दो बार आया हुआ है।
यमक अलंकार के और उदाहरण
- माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।
- जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
- पास ही रे! हीरे की खान, उसे खोजता कहाँ नादान?
- कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी।
- सपने में भी अपने को अपने ही समझना
- हरी, हरी रूप दियो मीरा को
- दो बेर खाती वो दो बेर खाती है।
- जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
- उधौ जोग जोग हम नाहीं ।
- सुर–सुर तुलसी ससि।
- कबीरा सोई पीर है, जो जानै पर पीर।
- काली घटा का घमंड घटा
- रहिम पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
- कंद मूल भोग करें कंदमूल भोग करें
Conclusion
जहां एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता हो। लेकिन हर बार अर्थ अलग अलग हों। वहां यमक अलंकार होता है। ऊपर दिए गए सभी यमक अलंकार केउ दाहरण है। Yamak Alankar Ke Udaharan अपने सहपाठीओ के साथ जरूर साझा करे।
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