Gulab Ki Kheti Kaise Kare | गुलाब की खेती कैसे करें।
Gulab Ki Kheti Kaise Kare
Gulab Ki Kheti Kaise Kare: दरअसल आपको बता दूं कि फूलों की मांग इनदिनों बढ़ता जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 20 लाख मिट्रिक टन से भी ज्यादा फूलों का उत्पादन का उत्पादन होता है। मौजूदा समय में फूलों की खेती से आप परंपरागत खेती से कई गुना मुनाफा कमा सकते हैं।
हमारे देश में फूलों की हजारों प्रजातियां है लेकिन गुलाब के फूलों की लोकप्रियता सबसे अधिक है। यही कारण है कि इसे फूलों का राजा कहा जाता है।
बाजार में गुलाब के फूल की मांग काफी अधिक है। गुलाब के फूलों का उपयोग केवल सजावट और सुगंध के लिए ही नहीं अपितु इससे गुलाब जल, गुलाब इत्र, गुलकंद और कई तरह की औषधीय बनाने के लिए भी किया जाता है।
गुलाब का पौधा एक बार लगाने से 8-11 सालों तक फूल देता है। इसके प्रत्येक पौधे से आप एक साल में लगभग 2 किलोग्राम तक फूलों का उत्पादन ले सकते हैं। किसान गुलाब की खेती से अच्छा खासा मुनाफा आराम से कमा सकते है।
1.गुलाब की खेती के लिए जलवायु
गुलाब समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके लिए ज्यादा गर्म जलवायु की जरूरत नहीं होती है। ठंडी जलवायु में इसका उत्पादन खूब होता है। इसके लिए 15 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 सेंटीग्रेड तापमान सही होता है।
भारत में इसकी खेती सभी राज्यों में की जा सकती है। ग्रीन हाउस और पॉली हाउस में इसकी खेती आप सालभर कर सकते हैं।
2.गुलाब की खेती (gulab ki kheti) के लिए मिट्टी
गुलाब की खेती हर एक तरह की मिट्टी में की जा सकती है, बशर्तें मिट्टी उपजाऊ और इसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो। बलुई दोमट मिट्टी में करते है तो आपको काफी फायदा होगा। गुलाब की फूलों की खेती सदैव जल निकासी वाली भूमि में ही करनी चाहिए।
लेकिन ध्यान रहे मिट्टी का पीएचमान 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए। इस पीएचमान की मिट्टी गुलाब के फूलों के लिए अच्छी मानी जाती है।
3.गुलाब की किस्में
गुलाब के पौधों की किस्में की संख्या पूरे विश्व में लगभग 20 हजार से भी ज्यादा है। लेकिन कुछ किस्मों का ही व्यवसायिक खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है। भारत में पाई जाने वाली किस्मों में पूसा सोनिया प्रियदर्शनी, प्रेमा, मोहनी, बन्जारन, डेलही प्रिसेंज नूरजहां, डमस्क रोज प्रमुख हैं।
- लता वर्ग की किस्में
रोजा बैंकसिया, रोजा ल्यूटिया, व्हाइट रैम्बलर, क्रिमसन आदि गुलाब प्रमुख हैं। इसमें एक जगह से कई फूल निकलते हैं। इसे दीवार और छत पर लगाया जाता है।
- हाइब्रिड टी किस्में
सुपर स्टार, पूसा गौरव, अर्जुन, रक्तगंधा, क्रिमसन ग्लोरी, रक्तिमा, फस्ट रेड आदि गुलाब प्रमुख हैं। इन किस्मों के पौधे की लम्बे तथा टहनी के ऊपर या सिरे पर एक ही फूल खिलता है, इस वर्ग की अधिकतर किस्में यूरोप और चीन के ‘टी’ गुलाबों के ‘संकर’ (क्रास) से तैयार किया गया है।
4.गुलाब के खेती (gulab ki kheti) की तैयारी
गुलाब के पौधे लगाने के लिए अक्टूबर और नवंबर के महीने को उत्तम माना जाता है। लेकिन आप अक्टूबर से फरवरी के महीने तक भी इसकी खेती कर सकते है।
गर्मी के मौसम में इसकी खेती करना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि इसके पौधों के अच्छे विकास के लिए 5-6 घंटे की अच्छी और तेज धूप की जरूरत होती है। इसके अलावा तेज धूप में कीड़े मकोड़े और कई बीमारियां नष्ट हो जाती है।
खेत में पौधे लगाने के पहले 4 से 6 सप्ताह में ही नर्सरी में बीज की बुआई करें। बुआई के लिए गड्ढों या क्यारियों 60 से 90 सेंटीमीटर गहरा बनाएं। उसके बाद खाद भरे और सिंचाई करें।
गुलाब के पौधे को लगाने का सबसे उत्तम समय शाम का माना जाता है। पौधों की दूरी कम से कम 5 फीट की होनी चाहिए। ताकि पौधों का अच्छे से विकास हो सके।
5.खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
गुलाब की खेती (gulab ki kheti) के लिए सड़ा हुआ कम्पोस्ट, 10 ग्राम नाइट्रोजन, 10 ग्राम फास्फोरस और 15 ग्राम पोटाश प्रति पौधों के लिए उपयोग करना चाहिए। भूमि की उर्वरा शक्ति और पौधे के विकास को ध्यान में रखते हुए 50-100 ग्राम यूरिया को खेत में एक सप्ताह के बाद छिड़काव जरूर करना चाहिए।
किसानों को अच्छे फूल उत्पादन के लिए जनवरी माह में पौधों में अमोनियम सल्फेट और पोटेशियम सल्फेट देना चाहिए।
6.खेती के लिए सिंचाई
खेत के शुरुआती समय में सिंचाई लगभग 2-3 दिनों में एक बार करनी चाहिए। लेकिन फिर बाद सिंचाई का समय कम से कम 7-10 दिनों के अंतराल पर होना चाहिए। यह अंतराल जमीन और मौसम के अनुसार दिया जाता है। ध्यान रहे कि उर्वरक के तुरंत बाद खेती की सिंचाई जरूर करें।
7.गुलाब की खेती(Gulab Ki Kheti) में रोग और कीट प्रबंधन
गुलाब की खेती (gulab ki kheti) में रोग और कीट पर बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि इसकी खेती में कई तरह के हानिकारक रोग लग जाते है। जिसका अगर सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह सारी फसल को बर्बाद कर देते हैं।
गुलाब के पौधों में लगने वाले विशेष रोग- क्राउन गॉल रोट, ब्लैक स्पॉट, पाउडरी, मिल्ड्यू डाउनी मिल्ड्यू, रस्ट, एन्थ्रेक्नोज, ग्रे मोल्ड, वर्टिसिलियम विल्ट, सूटी मोल्ड्स, कैंकर, नेमाटोड, रोज मोज़ेक, रोज विल्ट, रोज रोसेट रोग आदि।
इसके अलावा कई तरह के ऐसे कीट भी आते है जो फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जैसे एफिड्स, टू-स्पॉटेड माइट, थ्रिप्स, रोज स्लग (रोज सॉफलीज), कैटरपिलर कर्कुलियो, बीटल, जापानी बीटल, स्केल कीड़े, लीफ कटिंग बी,नेमाटोड,रोज चेफर और मेटल पिस्सू-बीटल आदि। किसान को इस तरह के कीट और रोगों से अपनी फसल को बचाकर रखना चाहिए।
8.गुलाब के फूलों की कटाई
गुलाब की खेती(gulab ki kheti) को अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही पुरानी टहनियों को काट लिया जाता है, जिसे पौधे पर नई शाखाएं आकर अच्छे फूल आ सके।
यह कार्य शुरू करने से पहले ही खेत में 8 से 10 दिन पहले ही सिंचाई को बंद कर दें। जिससे अंदर घुसी हुई शाखाएं बाहर निकल सके। गुलाब के फूलों की कटाई हमेशा तिरछी करनी चाहिए। ताकि नई शाखा जल्दी आ सके। कटाई के तुरंत बाद फूल को पानी से भरी बाल्टी में डाल दें, जिससे वह जल्दी मुरझा न पाए।
9.गुलाब की खेती(Gulab Ki Kheti) में लागत और कमाई
गुलाब की खेती(Gulab Ki Kheti) में जुताई से लेकर कटाई तक प्रतिहेक्टेयर 2से 3लाख रुपए का खर्च हो जाता है। यदि आप इसका सही प्रबंधन करते हैं तो दूसरे साल से यह लागत बहुत ही कम हो जाता है।
कमाई की बात करें तो गुलाब की खेती(Gulab Ki Kheti) में अन्य फूलों से ज्यादा कमाई होती है। इसकी मांग भी अन्य फूलों से अधिक होती है।
इसे आप गुलाब जल या इत्र बनाने वाली कंपनियों को सीधे बेच सकते हैं। गुलाब की खेती(Gulab Ki Kheti) में किसानों को प्रति हेक्टर 2.5 से 4 लाख फूल के डंठल मिलते है। इससे आप प्रतिहेक्टेयर 6-8 लाख रुपए आराम से कमा सकते हैं।