Shab-e-Barat ke Raat Ibadat kaise Kare | Shab-e-Barat के रात इबादत कैसे किया जाता है।

शब-ए-बारात कि रात इबादत कैसे करें? | Shab-e-Barat ke Raat Ibadat kaise Kare

आपको बता दूं कि शबे बरात की रात आप अपनी इबादत मगरिब के तुरंत बाद से शुरू करें दें। इबादत के लिए रात के अंतिम भाग का इंतजार न करें यानी तहज्जुद के समय का इंतजार ना करें। मगरिब, इशा और फज्र कि नमाज जमात के साथ पढ़ें। पूरी रात इबादत करने का सवाब मिलेगा। गुनाहों से बचें। अपने दिल को हर बुरी खयालातों से बरी कर दें।

शब-ए-बरात(Shab-e-Barat) कि रात जितना हो सके नाफ्ल नमजें अदा करें जैसे:-

  • सलातुल तौबा
  • सलातुल शुक्र
  • सलातुल हाजत
  • सलातित तस्बीह
  • लंबी सजदे वाली तहज्जुद नमाज पढ़ें

शब-ए-बरात(Shab-e-Barat) कि रात मुहाशबा जरूर करें-

अपनी पुरानी जिंदगी की गलतियों गौर करें, पक्की नियत करलें की आप बदल गाएं हैं और अपनी इसलाह करलें, 2 रेकात सलातुल तौबा पूरी खुसू और खुजू के साथ पढ़ कर अपने दिल को साफ करलें तौबा करलें। अल्लाह से दोस्ती करलें, अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने का पक्का इरादा करलें।

Shab-e-Barat 2023 : शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह इबादत की रात होती है। इस साल देश भर में शब-ए-बारात का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा।

दरअसल आपको बता दूंगी कि लोग कहते हैं, जो शब-ए-बारात में इबादत करता है, उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

Shab-e-Barat 2023: आज यानी 7 मार्च को शब-ए-बारात है। यह मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। शब-ए-बरात को इबादत की रात कहते हैं। इस पर्व पर रात में चांद को देखकर इबादत की जाती है।

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है। यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना होता है। इसे माह-ए-शाबान यानी बहुत मुबारक महीना माना जाता है। कहते हैं, जो शब-ए-बारात में इबादत करता है।

उनके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। आइए जानते हैं शब-ए-बारात को मनाने का तरीका और महत्व।

शब-ए-बारात(Shab-e-Barat) कैसे मनाते हैं?

अल्लाह की इबादत का यह दिन बहुत ही खास और पाक तरीके से मनाते हैं। शब-ए-बरात के मौके पर मस्जिद और कब्रिस्तानों को खास तरीके से सजाया जाता है। कब्रों पर चिराग जलाकर मगफिरत की दुआएं मांगी जाती है।

लोग मस्जिद और कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों के लिए खुदा से इबादत करते हैं। इसे चार मुकद्दस रातों में से एक मानते हैं, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र की रात होती है।

इसके अलावा शब-ए-बारात पर घरों को विशेष रूप से सजाते हैं। मस्जिद में नमाज पढ़कर अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगते हैं। घरों में लजीज पकवान जैसे, बिरयानी, कोरमा, हलवा आदि बनाया जाता है और इबादत के बाद गरीबों में बांटा जाता है।

शब-ए-बारात(Shab-e-Barat) का महत्व

शब का अर्थ है रात और बारात यानी बरी होना। इस आधार पर शब-ए-बारात गुनाहों की माफी मांगने और अल्लाह की इबादत कर अपने पापों को दूर करने की रात है। प्रतिवर्ष एक बाद शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शब-ए-बारात की रात शुरू होती है।

इस रात दुनिया को छोड़कर जा चुके पूर्वजों की कब्रों पर उनके प्रियजन करते हैं और दुआ मांगी जाती है। सच्चे दिल से माफी मांगने और दुआ करने वाले लोगों के लिए अल्लाह जन्नत का दरवाजा खोलते हैं।

Read More

इबादत की रात शब-ए-बारात(Shab-e-Barat), जानिए कब और कैसे मनाया जाता है यह पर्व

आपको बता दूं कि शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह इबादत की रात होती है। इस साल देश भर में शब-ए-बारात का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा। यह त्योहार चांद के दिखने पर निर्भर होता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शब-ए-बारात शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात को मनाई जाती है।

इस्लाम धर्म में माह-ए-शाबान बहुत मुबारक महीना माना जाता है। यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना होता है। कहा जाता है कि शब-ए-बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में लोग रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और उनसे अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं क्यों खास होती है शब-ए-बारात…

क्यों खास है शब-ए-बारात(Shab-e-Barat)?

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, शब-ए-बारात की रात हर साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। शब-ए-बारात का अर्थ है शब यानी रात और बारात यानी बरी होना। शब-ए-बारात के दिन इस दुनिया को छोड़कर जा चुके पूर्वजों की कब्रों पर उनके प्रियजनों द्वारा रोशनी की जाती है और दुआ मांगी जाती है। मान्यता के अनुसार इस रात को अल्लाह अपने चाहने वालों को हिसाब-किताब रखने के लिए आते हैं। इस दिन जो भी सच्चे मन से अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं। ऐसा करने से अल्लाह उनके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं।

ऐसे मनाया जाता है शब-ए-बारात(Shab-e-Barat)

शब-ए-बारात के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने और पूर्वजों के लिए खुदा से इबादत करते हैं। घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। मस्जिद में नमाज पढ़कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इस दिन घरों में पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाया जाता है। वहीं इबादत के बाद इसे गरीबों में बांटा जाता है।

इस दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है। कब्रों पर चिराग जलाकर उनके लिए मगफिरत की दुआएं मांगी जाती हैं। इस्लाम में इसे चार मुकद्दस रातों में से एक माना जाता है, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।

Read Also 

Leave a Comment