Touchscreen Kya Hai | टच स्क्रीन क्या है यह कैसे काम करता है।
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टच स्क्रीन क्या है। Touchscreen Kya Hai
Touchscreen एक इनपुट डिवाइस है जिसे नियंत्रण के लिए उंगलियों या अन्य इलेक्ट्रिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है।
टचस्क्रीन touch-sensitive होता है। जब कोई यूजर अपनी उंगलियों से स्क्रीन पर टच करता है तो इसकी जानकारी प्रोसेसिंग के लिए कंट्रोलर के पास भेजी जाती है।
टचस्क्रीन का उपयोग आजकल सभी स्मार्टफोन और टैबलेट में होता है. जिसे हम अपनी उंगलियों से touch करके नियंत्रित कर सकते है. इसके लिए किसी माउस या कीबोर्ड की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
टचस्क्रीन का इस्तेमाल अनेकों तरह के devices मे होता है जिसमें कंप्यूटर, लैपटॉप, cash registers, ATM, इत्यादि शामिल है।
टच स्क्रीन का इतिहास | Touch Screen Kya Hai
सन् 1965 में E.A Johnson ने capacitive touchscreen का आविष्कार किया. उस वक्त ये united kingdom (UK) के Royal Radar Establishment Malvern मे कार्य करते थे।
इतिहासकार capacitive को पहला टचस्क्रीन टेक्नोलॉजी मानते है. आजकल इसका अधिकतर इस्तेमाल स्मार्टफोन और टैबलेट स्क्रीन मे होता है।
1971 मे Dr. George Samuel Hurst ने touch sensor को विकसित किया. उस वक्त वे University of Kentucky Research Foundation मे पढ़ाते थे. इस touch sensor का नाम उन्होंने Eleograph रखा. इस टच सेंसर ने टचस्क्रीन टेक्नोलॉजी मे महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उसके बाद सन् 1974 मे Hurst ने अपनी कंपनी Elographics के साथ मिलकर पहला genuine टचस्क्रीन विकसित किया जो कि एक transparent surface था. फिर सन् 1977 मे Elographics ने इस टेक्नोलॉजी को patent कर लिया।
आजकल इस टचस्क्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा मे होता है।
टच स्क्रीन के प्रकार (Types of Touchscreen)
1. Resistive Touchscreen
Resistive Touchscreen, एक पतले metallic electrically conductive से coated होता है. इसके साथ ही इसमें resistive layer लगा होता है जिससे इलेक्ट्रिक चार्ज होता है।
Resistive Touch Screen, अन्य प्रकार के टचस्क्रीन से काफी सस्ता होता है लेकिन इससे सिर्फ 75% clarity ही मिलता है. इस स्क्रीन को sharp object से काफी नुकसान हो सकता है जबकि dust और water से स्क्रीन मे इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
आजकल, इस तरह के टच स्क्रीन काफी इस्तेमाल किए जाते है लेकिन लोगो का कहना है कि इस टच स्क्रीन की durability अन्य प्रकार के टच स्क्रीन की तुलना में.ज्यादा नहीं होती।
इसे आप अपने उँगलियों के साथ साथ इलेक्ट्रिक पेन, stylus या glovedhand से भी टच करके इस्तेमाल कर सकते है.यह टच स्क्रीन आपको आसानी से दुकानों में मिल जाएगी.
2. Capacitive Touchscreen
Capacitive Touchscreen panel एक मटेरियल के साथ coated होता है, जो की इलेक्ट्रिक चार्ज को स्टोर करता है. जब स्क्रीन को किसी यूजर के द्वारा टच किया जाता है, तो चार्ज की एक छोटी मात्रा point of contact की ओर drawn होती है।
Capacitive Touch Screen लंबे समय तक चलता है. यह स्क्रीन सिर्फ हमारे उंगलियों के टच से ही कार्य करता है. आप अपने हाथो मे दस्ताने पहनकर स्क्रीन को नियंत्रित नहीं कर सकते. यह स्क्रीन सिर्फ फिंगर touch से ही कार्य करता है।
आजकल सभी स्मार्टफोन, टेबलेट, और अन्य तरह के डिवाइस में इसका इस्तेमाल होता है।
Capacitive touch screen, resistive स्क्रीन की तुलना में.अधिक clearity प्रदान करता है। यह स्क्रीन अंदर से conductive matter और बाहर से glass की बनी होती है।
स्क्रीन के हर corner में circuit लगा होता है, जो चार्ज को मापने और प्रोसेसिंग के लिए कंट्रोलर को जानकारी भेजती है। जब हम अपनी उँगलियो से स्क्रीन को इनपुट देते है तो हमारे शरीर की इलेक्ट्रिकल ऊर्जा से टचस्क्रीन कार्य करता है।
3. Surface Wave
Surface wave में ultrasonic waves टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता हैं. जब कोई स्क्रीन को टच करता है तो portion की wave absorb होती है. Ultrasonic Wave के इसी बदलाव के कारण स्क्रीन मे टच की गई जगह का पता लगाकर इसकी जानकारी प्रोसेसिंग के लिए कंट्रोलर के पास भेजी जाती है।
अन्य स्क्रीन की तुलना में यह टचस्क्रीन पैनल की सबसे एडवांस प्रकार की स्क्रीन मानी जाती है. एक बात याद रखे कि स्क्रीन मे बाहरी elements का प्रभाव पड़ता है जो स्क्रीन डैमेज भी कर सकती है।
4. Infrared Touch Screen
सभी टच स्क्रीन की तरह Infrared टचस्क्रीन भी टच इनपुट पर कार्य करता है. Infrared touchscreen के किनारे में LED lights और photo detectors (जो की एक sensor है) की grid जैसा array लगा होता है. इन LED लाइट से प्रकाश की किरण निकलती है. इसमें एक microchip भी रहता है जो लाइट्स के प्रवाह को मापता है. जब कोई स्क्रीन टच करता है तो उसे स्थान पर लाइट के प्रवाह में रुखावट आती है. इस जानकारी को कंट्रोलर के पास प्रोसेसिंग कार्य के लिए भेजा जाता है।
टच स्क्रीन कैसे कार्य करता है? | Touchscreen Kya Hai
सभी टचस्क्रीन मे तीन basic fundamental components होते है: Touch sensor, Controller और Software Drive
1. Touch Sensor
यह एक साफ़ surface का touch-sensitive glass panel है. यह display के ऊपर स्थित होता है।
Touchscreen मे इनपुट detect करने के लिए हर टेक्नोलॉजी मे distinct mechanism का इस्तेमाल होता है। आमतौर पर सेंसर मे एक इलेक्ट्रिकल करंट या सिग्नल होता है जो voltage या सिग्नल को बदलता है।
जब स्क्रीन को टच किया जाता है तो screen मे touch कहां हुआ है, इसके लिए वोल्टेज परिवर्तन का इस्तेमाल होता है।
2.Controller
यह touch सेंसर और PC के बीच जुड़ा होता है क्योंकि यह एक small PC card है. यह जानकारी को उस रूप में translate करता है जिसे PC को टच सेंसर से मिली जानकारी समझने मे आसानी हो सके।
External touch overlay के लिए controller को प्लास्टिक case या integrated मॉनिटर के लिए मॉनिटर के भीतर install किया जाता है।
PC में किस तरह के interface की जरूरत होगी, यह कंट्रोलर द्वारा निर्धारित होता है. Integrated touch monitor मे टच स्क्रीन के लिए एक extra cable कनेक्शन पीछे लगा होता है. इस कंट्रोलर मे USB port कनेक्ट करने कि भी सुविधा होती है।
3.Software Driver
यह कंप्यूटर और टच स्क्रीन को एक साथ कार्य करने मे सक्षम बनाता है। सॉफ्टवेयर ड्राइवर द्वारा ही कंट्रोलर से प्राप्त टच event की जानकारी संभालने का पूरा कार्य होता है. यह कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को touch event देने के साथ-साथ व्याख्या करने का निर्देश देता है।
टच स्क्रीन के फायदे | Touchscreen Kya Hai
- टचस्क्रीन मे कोई बटन नहीं होता, जिससे आपका काम आसानी और तेज़ी से हो पाता है।
- Touchscreen टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बहुत ही आसान और यूजर फ्रेंडली होता है. इसे कोई भी use कर सकता है।
- अन्य इनपुट डिवाइस जैसे keyboard और mouse की तुलना में टचस्क्रीन अधिक तेज़ गति से कार्य करता है।
- इसकी साफ़ सफाई मे अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
टच स्क्रीन के नुकसान
- Touch Screen हल्के और breakable होते है. अगर इन्हे सही से रखा न जाए तो स्क्रीन टूटने की संभावना होती है।
- बड़ी साइज और bright टच स्क्रीन होने के कारण computing power अधिक लगता है जिसका सीधा असर फोन के बैटरी लाइफ में पड़ता है।
- टचस्क्रीन का इस्तेमाल direct sunlight मे करने से स्क्रीन मे चीजें सही से दिखाई नहीं देती।
- Normal स्क्रीन की तुलना में टचस्क्रीन थोडा अधिक महंगा होता है।