Projector Kya Hai | प्रोजेक्टर क्या है यह कितने प्रकार के होते है।

प्रोजेक्टर क्या होता है? | Projector Kya Hai

Projector Kya Hai: दरअसल आपको बता दूं कि प्रोजेक्टर एक output device होता है जो कंप्यूटर या Blu-ray player से बनी images लेता है और उन्हें projection के जरिए screen, wall या किसी surface पर दोबारा पेश करता है. प्रोजेक्टर स्थिर images (slides) या चलती images (video) प्रस्तुत कर सकता है।

अधिकतर, जिस surface पर विडियो को प्रोजेक्ट किया जाता है वह बड़ा, सपाट और हल्के रंग का होता है. आमतौर पर प्रोजेक्टर का आकार एक टोस्टर  जितना होता है और बहुत ही कम वजन वाला होता है. इसका इस्तेमाल कर हम किसी कमरे में बड़ी स्क्रीन पर सबके साथ movies या slides देख सकते हैं।

Projector कैसे काम करता है। Projector Kya Hai

छवि (image) बनाने के लिए projectors अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सभी प्रोजेक्टरों में एक बात common होती है कि वे छवियों को बनाने के लिए light (प्रकाश) का इस्तेमाल करते हैं।

इन devices में आपकी मनपसंद picture, movie या अन्य visual materials को उच्च क्वालिटी में पेश करने के लिए एक light beam (प्रकाश किरण) का इस्तेमाल किया जाता है. प्रोजेक्टर के जरिए बनने वाली images को प्रस्तुत करने के लिए एक projection screen का इस्तेमाल किया जाता है जो life-sized images प्रदान करता है. इसी वजह से सिनेमा घरों में projector का इस्तेमाल अधिक किया जाता है।

Projector के प्रकार | Projector Kya Hai

Projector कई प्रकार के होते हैं. इनमें कुछ analog होते हैं और कुछ digital, जो कुछ इस प्रकार हैं।

  1.  LCD Projectors
  2. DLP Projectors
  3. CRT Projectors
  4. Overhead Projectors
  5. Interactive Projectors

1. LCD Projectors

LCD projector में light source से एक तीव्र सफेद प्रकाश की किरण छोड़ी जाती है. यह किरण mirrors के एक ग्रुप से होकर गुजरती है. इस ग्रुप में दो dichroic mirrors (द्विध्रुवीय दर्पण) शामिल होते हैं जिन्हें एक विशेष फिल्म से लेपित (coated) किया जाता है. इसलिए ये light की केवल एक विशेष wavelength को ही reflect करते हैं. यहां prism के principle को apply किया जाता है।

प्रत्येक dichroic mirror एक specified wavelength को तोड़ता है. जब white light mirrors से टकराती है तो प्रत्येक mirror एक colored light को प्रोजेक्टर के जरिए reflect करता है और फिर लाल, हरी और नीली light beams उत्पन्न होती हैं।

लाल, हरे और नीले रंग की तीन अलग-अलग प्रकाश की किरणें तीन अलग-अलग LCD display से होकर गुजरती हैं. ये LCD display बिल्कुल मोबाइल के display की तरह होती हैं, लेकिन ये पारदर्शी होती हैं जिससे light की किरणें आसानी से पास हो जाती हैं।

इन तीनों LCD Display में एक ही समय पर same picture प्रदर्शित हो रही होती है. जब colored light इन स्क्रीन से होकर गुजरती है तो वे एक ही scene के तीन अलग-अलग versions पेश करती हैं: एक लाल, एक हरा और एक नीला

LCD प्रोजेक्टर के अंदर इन तीन रंगीन versions को एक dichroic prism के जरिए पुनः संयोजित (recombine) किया जाता है और एक single image बनाई जाती है. अब इस image में तीन नहीं बल्कि लाखों रंग होते हैं।

अंत में दृश्य के इस जीवंत, रंगीन version को प्रोजेक्टर लेंस के माध्यम से गुजारा जाता है और बड़ी स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है।

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2.DLP Projectors

DLP projectors एक नई तकनीक है जिसे Texas instruments द्वारा सन 1987 में पहली बार विकसित किया गया. इस तकनीक की Digital Light Processing तकनीक कहा जाता है. इसमें एक microchip का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें 20 लाख के करीब tiny mirrors लगे होते हैं।

DMD (Digital Micromirror Device) Chip पर लगे mirrors off या on की स्थिति में झुके हुए होते हैं. प्रत्येक mirror के झुकाव को एक electronic circuit के माध्यम से निर्धारित किया जाता है।

On की स्थिति में ये किसी भी रंग की light को reflect करते हैं. Off की स्थिति में ये light को लेंस से परे deflect करते हैं।

Off की स्थिति में स्क्रीन पर picture या movie का डार्क पार्ट दिखाई देता है. Light beam के पथ पर एक color wheel को रखा जाता है जिसकी वजह से लाल, नीली और हरी किरण प्राप्त होती है।

3. CRT Projectors

CRT projectors का आकार थोड़ा बड़ा होता है जिस वजह से ये कम प्रचलित हैं. एक CRT projector के अंदर Cathode Ray Tube का इस्तेमाल किया जाता है. यह ट्यूब high brightness के साथ image बनाती है।

बनाई गई image को तीन अलग-अलग CRT tube से संसाधित (processed) किया जाता है. प्रत्येक tube एक विशेष रंग के लिए होती है जिसमें लाल, हरा और नीला रंग शामिल होते हैं।

4. Overhead Projectors

Overhead projectors बहुत ही साधारण projectors होते हैं. ये छवि बनाने के लिए light का इस्तेमाल करते हैं जिसे फिल्म से गुजारा जाता है. फिल्म पर प्रोजेक्ट की जाने वाली सामग्री (content) को लिखा, बनाया या प्रिंट किया जा सकता है. इसके अलावा आप अन्य transparent material भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

Overhead projector में mirrors और lenses का इस्तेमाल किया जाता है. ये images को flip और large करने में मदद करते हैं. इसमें Light transparency से होकर गुजरती है और एक image बनाती है. Light सही से mirror की तरफ जाए इसके लिए converging lenses का इस्तेमाल किया जाता है।

5. Interactive Projectors

Interactive projectors highly advanced devices हैं. ये आमतौर पर Ultra Short Throw (UST) projectors होते हैं. ये visual data को नियमित projectors की तरह ही स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करते हैं. लेकिन इनमे एक अंतर होता है।

इनमे आप projection के साथ interact कर सकते हैं. यह special pens और sensors के इस्तेमाल से संभव होता है. पेन के इस्तेमाल से आप projected image में बदलाव कर सकते हैं. आप image पर कुछ बना या लिख सकते हैं और projector इन बदलावों को रिकॉर्ड कर सकता है।

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