अनुप्रास अलंकार के उदाहरण : आपको मालूम ही होगा की अनुप्रास अलंकार अलंकार का ही एक प्रकार है। तो आज में यहां सिर्फ अनुप्रास अलंकार के उदाहरण आपको बताने जा रहा हु।

जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। अनुप्रास अलंकार के कारण वाक्य की सुंदरता में बढ़ावा होता हैं।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
Anupras alankar ke udaharan निचे मुजब हैं
उदाहरण 1
कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं की क वर्ण की आवृति हो रही है, मतलब की हम जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन का एक से अधिक बार प्रयोग होता है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण 2
कर कानन कुंडल मोर पखा,
उर पे बनमाल बिराजति है।
इस काव्य पंक्ति में “क” वर्ण की 3 बार और “व” वर्ण की दो बार आवृति होने से यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण हैं।
उदाहरण 3
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला।
ऊपर दिए गए उदाहरण में म वर्ण का बार बार प्रयोग होने की वजह से यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण हैं।
उदाहण 4
कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजती है।
ऊपर दिए गए उदहारण में सुरु के तीन शब्दों की शुरुआत क वर्ण से हो रही है मतलब की यह अनुप्रास अलंकार का उदाहर है।
उदाहरण 5
सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरण में स शब्द का प्रयोग बार बार किया गया है मतलब यह अनुप्रास अलंकार हैं।
उदाहरण 6
कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरण में शुरू के चार शब्दों में क वर्ण की आवृति हो रही है, मतलब की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण 7
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।
ऊपर दिए गए उदाहरण में च वर्ण का बार बार उपयोग हो रहा है और इससे वाक्य सुनने में और सुन्दर लग रहा है।
उदाहरण 8
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये
यहां पर त वर्ण की आवृत्ति बार-बार आ रही है इसलिए यहां पर अनुप्रास अलंकार का उपयोग हुआ है।
उदाहरण 9
बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा ब वर्ण की आवृति बार बार हो रही है, मतलब की यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है।
उदाहरण 10
कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी।
ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘क’, ‘भ’ वगेरा वर्णों की बार बार आवृति हो रही है, मतलब की जानते हैं की जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण 11
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
इस उदाहरण में द वर्ण की बार बार आवृति हो रही है मतलब की यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत है।
उदाहरण 12
रघुपति राघव राजा राम।
ऊपर दिए गए उदाहरण में र वर्ण की बार बार आवृति हुई है मतलब की यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार का है आप समज गए होंगे।
उदाहरण 13
कोमल कलाप कोकिल कमनीय कूकती थी।
ऊपर दिए गए वाक्य में क वर्ण का बार बार प्रयोग किया गया है जिसकी वजह वाक्य की रचना बहुत सुन्दर हो गई है इसलिए इस वाक्य में अनुप्रास अलंकार का उपयोग किया गया है
दोस्तों और भी बोहत अनुप्रास अलंकार के उदाहरण है जो आप देख सकते हैं। 37 और भी उदाहरण।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण 37 और
- चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से।
- मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए
- गुरु पद रज मृदु मंजुल
- काकी कंकु दे
- बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में
- राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस , बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।३४ रावनु रथी बिरथ रघुबीरा।
- विमल वाणी ने वीणा ली ,कमल कोमल क्र में सप्रीत।
- रघुपति राघव राजा राम
- कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को
- कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है
- कालिंदी कूल कदंब की डारिन
- कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि।
- तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए.
- प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि
- बरसत बारिद बून्द गहि
- चमक गई चपला चम चम
- कुकि कुकि कलित कुंजन करत कलोल)
- रावनु रथी विरथ रघुवीरा
- खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की
- हमारे हरि हारिल की लकरी
- तू मोहन के उरबसी हवे उरबसी समान
- कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सं राम ह्रदय गुनि
- बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहत काकी है बेटी
- गुन करि मोहि सूर सँवारे को निरगुन निरबैहै
- सहज सुभाय सुभग तन गोरे।
- जब तुम मुझे मेले में मेरे खिलोने रूप पर।
- संसार सारा आदमी की चाल देख हुआ चकित
- पेट पीठ दोनों मिलकर है एक, चल रहा लकुटिया टेक।
- सुंदर सुठि सुकुमार , बिबिध भांति भूषन बसन
- अति अगाधु अति औथरौ नदी कूप सरु बाइ।
- चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे
- पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही
- घेर घेर घोर गगन शोभा श्री
- हरेश हठीला हुआ
- मीनाक्षी मित्तल से मिली
- हिना हुई हरिनाम दीवानी
सारांश
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं। अनुप्रास अलंकार के कारण वाक्य की सुंदरता में बढ़ावा होता हैं। तो दोस्तों यहाँ पे मेने अनुप्रास के 50 उदाहरण आपको बताये है यह जरूर उपयोगी होंगे।
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